मैं नीति और धर्म की दिशाओं को भिन्न मानता हूं; भिन्न ही नहीं, विपरीत मानता हूं—क्यों मानता हूं, उसे समझाना चाहता हूं। नीति-साधना का अर्थ है : आचरण-शुद्धि, व्यवहार-शुद्धि। वह व्यक्तित्व की परिधि—को बदलने का प्रयास है। व्यक्तित्व की परिधि मेरा दूसरों से जो संबंध है, उससे निर्मित होती है। वह दूसरों से मेरा व्यवहार है। मैं दूसरों के साथ कैसा हूं, वही मेरा आचरण है। आचरण यानी संबंध, रिलेशन।
मैं अकेला नहीं हूं। मैं अपने चारों ओर अन्य लोगों से घिरा हूं। मैं समाज में हूं और इसलिए प्रतिक्षण किसी न किसी से संबंधित हूं। यह अतर्संबंध ही जीवन मालूम होता है। मेरे संबंध शुभ हैं तो मेरा आचरण सद है, और मेरे संबंध अशुभ हैं तो मेरा आचरण असद है। सदाचरण की हमें शिक्षा दी जाती है। वह समाज के लिए आवश्यक है। वह एक सामाजिक आवश्यकता है।
आगे पढ़े ................. यहाँ क्लिक करे
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें